58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 जगद्गुरू रामभद्राचार्य और गुलजार साहब
प्रसिद्ध गीतकार, शायर गुलजार को उर्दू और संस्कृत विद्वान जगतगुरू रामभद्राचार्य को संस्कृत के लिए 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 दिये जाने की घोषणा की गई।
![Rambhadracharya](https://gktimehindi.in/wp-content/uploads/2024/02/Rambhadracharya.jpg)
रामभद्राचार्य – रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 में उत्तरप्रदेश के जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में हुआ है। रामभद्राचार्य चित्रकूट (उत्तरप्रदेश) में रहने वाले प्रख्यात विद्वान, प्रवचनकार, रचनाकार, बहुभाषाविद् और हिन्दू धर्मगुरू है।
वे रामानंद सम्प्रदाय के वर्तमान 04 जगद्गुरू रामानन्दाचार्यों में से एक हैं। इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं।
रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ के संस्थापक और अध्यक्ष है। रामभद्राचार्य दो माह की आयु में नेत्र की ज्योति (रोहे के कारण) से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं, उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है।
रामभद्राचार्य को 2005 में संस्कृत में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2006 में मध्यप्रदेश संस्कृत बोर्ड द्वारा बाणभट्ट पुरस्कार, 2007 में केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा वाचस्पति पुरस्कार, 2015 में भारत सरकार द्वारा पद्भ विभूषण (भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दुसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान) से सम्मानित किया गया है।
![Gulzar](https://gktimehindi.in/wp-content/uploads/2024/02/Gulzar.jpg)
गुलजार- गुलजार का पूरा नाम संपूर्ण सिंह कालरा है इनका जन्म 18 अगस्त 1934 को दीना गाँव (अब पाकिस्तान) में हुआ है।
गुलजार की कृतियों में चौरस रात, जानम, एक बूँद चाँद, रावीपार, रात पश्मीने की, खराशें है।
गुलजार को 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्भ भूषण (भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान) 2013 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
उर्दु भाषा का पाँचवी बार संस्कृत भाषा के लिए दूसरी बार ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जा रहा है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान है। जिसमें विजेताओं को 11 लाख रूपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
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