02 फरवरी अंतराष्ट्रीय वेटलैंड दिवस के पूर्व भारत के 04 और वेटलैंड को रामसर साइट में शामिल करने की मंजूरी दी गई है। इनमें 02 वेटलैंड तमिलनाडु के 01 सिक्किम और 01 झारखंड के हैं। इसके साथ ही देश के 89 वेटलैंड्स को रामसर साइट का दर्जा मिल गया है।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 का थीम “हमारे साझा भविष्य के लिए आर्द्रभूमियों का संरक्षण” (Protecting Wetlands for Our Common Future) है।
रामसर साइट में शामिल किए गए 04 नए वेटलैंड
रामसर साइट में शामिल किए गए चार नए वेटलैंड में
सक्काराकोट्टई पक्षी अभयारण्य (Sakkarakottai Bird Sanctuary)और तीर्थंगल पक्षी अभ्यारण्य (Theerthangal Bird Sanctuary) तमिलनाडु में, खेचेओपलरी वेंटलैंड (आर्द्रभूमि) (Khecheopalri Wetland) सिक्किम में, तथा उधवा झील (Udhwa Lake) झारखंड में स्थित है।
सक्कराकोट्टई पक्षी अभ्यारण्य (Sakkarakottai Bird Sanctuary)
तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित पक्षी अभ्यारण्य 230.490 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
इस पक्षी अभ्यारण्य में स्पॉट बिल्ड पेलिकन, ग्रे हेरोन, इग्रेट, कॉमन मैना, लिटिल कॉर्माेरेंट आदि प्रजातियां के पाक्षियाँ है।
तीर्थंगल पक्षी अभ्यारण्य (Theerthangal Bird Sanctuary)
रामनाथपुरम जिले तमिलनाडु में पक्षी अभ्यारण्य है। यह अभ्यारण्य 29.290 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।
इस पक्षी अभ्यारण्य में पाये जाने वाले प्रजातियों में सफेद छाती वाला किंगफिशर, स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, ब्राम्हणी काइट आदि है।
खेचेओपलरी वेंटलैंड (Khecheopalri Wetland)
यह सिक्किम राज्य के पश्चिम सिक्किम जिले में स्थित है। जिसका क्षेत्रफल 3.79 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
इस आर्द्रभूमि में ग्रेबे, कॉमन मेर्गेन्स, कॉमेरेंट, ट्फटेड डक, व्हाइट ब्रेस्टेड वॉटरहेन, क्रेन ब्राउन आदि प्रजातियां पाये जाते हैं।
उधवा झील (Udhwa Lake)
यह झारखंड के साहबेगंज जिले में स्थित है। यह पूर्वी भारत का एकमात्र पक्षी अभ्यारण्य है।
यहां हाउस स्विफ्ट, ब्राम्हाणी पंतग, फिशिंग ईगल, ब्लैक हेडेड आइबिस, पर्पल स्वैम्प हेन, वूली नेक्ड स्टॉर्क आदि पक्षियों के प्रजातियां पाये जाते हैं।
रामसर साइट में 20 वेटलैंड्स के साथ तमिलनाडु शीर्ष पर
इसके साथ ही रामसर साइट में 20 वेटलैंड्स के साथ तमिलनाडु शीर्ष पर बना हुआ है जबकि 10 वेटलैंड के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।
यहां उल्लेखनीय है कि ईरान के रामसर शहर में वेटलैंड के संरक्षण को लेकर 02 फरवरी 1971 में हुए अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत् यह दर्जा दिया जाता है।
वर्ष 2025 में शामिल किये गए इन 04 नए रामसर साईट के साथ भारत में अब रामसर साईट की संख्या 89 हो गई है।