01 जुलाई 2024 से भारत के कानून एवं व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन होने वाला है देश के आपराधिक न्याय प्रणाली व्यवस्था के तहत् 164 वर्षों से अंग्रेजों के समय से लागू भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code – IPC) 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) लागू होगा।
भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure – Crpc) (1898) 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (Bharatiya Nagrik Suraksha Sanhita – BNSS) लागू होगा।
इंडियन एविडेंस एक्ट (Indian Evidence Act -IEA) 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam-BSA) लागू होगा।
पिछले वर्ष लोकसभा में 20 दिसम्बर 2023 को 21 दिसम्बर 2023 को राज्यसभा से पारित होने के उपरांत 25 दिसम्बर 2023 को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दिया गया है।
भारत सरकार केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधिसूचना दिनांक 23 फरवरी 2024 के अनुसार भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) को छोड़ कर BNS, BNSS और BSA दिनांक 01 जुलाई 2024 से लागू होगा।
धारा 106 (2) में तेजी से लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने और चालक के भागने से मृत्यु कारित होने पर 10 की कैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
किसमें क्या बदलाव किया गया है?
भारतीय साक्ष्य अधिनियमः इसी तरह इंडियन एविडेंस एक्ट के 167 धाराओं के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं 24 धाराओं में बदलाव किया गया है। 02 नई धाराओं को जोड़ा गया है तथा 06 धाराओं को समाप्त कर दिया गया है।
- पहली बार इलेक्ट्रानिक या डिजिटल रिकाॅर्ड की कानूनी स्वीकार की गई।
- दस्तावेजों में ईमेल, सर्वर लाॅग, इलेक्ट्राॅनिक, डिजिटल रिकाॅर्ड, स्मार्टफोन, लैपटाॅप के मैसेज भी शामिल किया गया।
- 07 वर्ष से अधिक वाले सजा के मामले में क्राइम सीन पर फाॅरेंसिक टीम का प्रावधान।
भारतीय न्याय संहिता: IPC के 511 धाराओं के स्थान पर BNS में 358 धाराएं हैं। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई 83 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है 23 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा आरंभ तथा 22 धाराएं को समाप्त कर दिया गया है।
- भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद को धारा 113 (1) में परिभाषित कर दंडनीय अपराध बनाया गया है। आंतकी कृत्य पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास होगा।
- राजद्रोह की जगह देशद्रोह कहा जायेगा।
- सामूहिक बलात्कार में धारा 70(1) के तहत् 20 वर्ष का कारावास से आजीवन कारावास का प्रावधान, 18 वर्ष से कम आयु की बच्ची से सामूहिक बलात्कार के मामले में धारा 70(2) के तहत् आजीवन कारावास का प्रावधान।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 377 अप्राकृतिक यौन अपराध को निरस्त कर दिया गया।
- पहली बार माॅब लिंचिंग जैसे अपराधों के लिए धारा 103(2) अधिकतम मृत्युदंड की सजा का प्रावधान।
भारतीय नागारिक सुरक्षा संहिता: CrPC के 484 धाराओं के स्थान पर BNSS में 531 धाराएं हैं 177 धाराओं को बदल दिया गया है, 44 नए प्रावधान तथा स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं 09 नई धाराएं जोड़ी गई है और 14 धाराओं को समाप्त कर दिया गया है।
- अपराध के संबंध में जीरो एफआईआर किसी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराने का प्रावधान।
- एफआईआर से लेकर न्यायालय तक सब कुछ डिजिटलाइज होगा।
- व्यक्ति को गिरफ्तार करने की सूचना पुलिस को उसके परिवार को देनी होगी।
- सुनवाई के बाद 30 दिन में फैसला देना होगा। फैसला का आदेष 07 दिनों के भीतर न्यायालय के पोर्टल पर आनलाईन उपलब्ध करेगा।
- 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बार में अपराधी को बताना होगा।
भारतीय न्याय संहिता के धाराओं और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत् कितना सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है का विवरण जानने के लिए इस पढ़े
भारतीय न्याय संहिता (II) 2023 की प्रमुख धारा एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (II) 2023 के तहत सजा का प्रावधान (BNS Dhara List) (NEW IPC Dhara List)
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