भारत का सबसे प्राचीनतम ग्रंथ वेद हैं। वेद का संकलनकर्ता महिर्ष कृष्ण द्धैपायन वेदव्यास को माना जाता है। ऋग्वेद सबसे प्राचीन तथा प्रथम और विशाल वेद है। दूसरा वेद यजुर्वेद है जिसमें यज्ञों के नियमों एवं विधि विधानों का संकलन है। तीसरा वेद सामवेद है। सामवेद को भारतीय संगीत का जनक माना जाता है। अथर्वा ऋषि द्वारा रचित अथर्ववेद चौथा वेद है
इस लेख में भारत के प्राचीनकाल के प्रमुख ग्रंथ/पुस्तकें एवं उनके कृतिकार/लेखकों Ancient Books of India Pramukh Bhartiya Granth का विवरण है।
क्रमांक | ग्रंथ / पुस्तक | कृतिकार/ लेखक |
---|---|---|
1 | रामायण, योगवासिष्ठ | वाल्मीकी |
2 | महाभारत, भगवद्गीता | वेदव्यास |
3 | अष्टाध्यायी | पाणिनी |
4 | इंडिका | मेगास्थनीज |
5 | अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र | चाणक्य (कौटिल्य) |
6 | सत्सहसरिकासूत्र, रसरत्नकर, मूलमध्यमककारिका, शून्यतासप्तति | नागार्जुन |
7 | आर्यभटियम्, परमार्थसप्तशती | आर्यभट्ट |
8 | सूर्य सिद्धांत, लीलावती, सिद्धांत शिरोमणि | भास्कारचार्य |
9 | वृहत संहिता, पंचसिद्धांतिका | वाराहमिहिर |
10 | मनुस्मृति | मनु |
11 | महाभाष्य, योग सूत्र | पतंजलि |
12 | चरक संहिता | चरक |
13 | सुश्रुत संहिता | सुश्रुत |
14 | कश्यप संहिता | कश्यप |
15 | कामसूत्र, नारदस्मृति, न्यायभाष्य | वात्सायन |
16 | अष्टावक्र गीता | अष्टावक्र |
17 | अभिज्ञान शाकुतंलम्, कुमारसम्भव, मेघदूतम्, रघुवरम्, माल्लिकाअग्निमित्रम्, ऋतुसंहार, विक्रमोवर्शीय | कालीदास |
18 | स्वप्नवासवदत्तम् | भास |
19 | मुद्राराक्षस, देवीचंद्रगुप्तम् | विशाखदत्त |
20 | मृच्छकटिकम् | शुद्रक |
21 | कम्बरामायण | कम्बन |
22 | महाविभाषाशास्त्र | वसुमित्र |
23 | नागनंद, रत्नावली, प्रियदर्शिका | हर्षवर्द्धन |
24 | हर्षचरित, कादंबरी | बाणभट्ट |
25 | किरातार्जुनीयम् | भारवि |
26 | पूर्वमीमांसा सूत्र, जैमिनी सूत्र, जैमिनी भारत | जैमिनी |
27 | राजतरंगिणी | कल्हण |
28 | पंचशिका, विक्रमांकदेवचिरतम् | विल्हण |
29 | भोजचरित, प्रबंध चिंतामणि | मेरूतुंग |
30 | नाट्यशास्त्र | भरतमुनि |
31 | काव्यालंकार | भामह |
32 | काव्यादर्श, दशकुमारचरितम् | दण्डी |
33 | काव्यालंकारसार संग्रह | उद्भट |
34 | काव्यालंकारसूत्रवृत्ति | वामन |
35 | छदंशास्त्र | पिंगल |
36 | वार्तिक | कात्यायन |
37 | लक्षणशास्त्र, शब्दानुशासन | शकटायन |
38 | ध्वन्यालोक | आनंदवर्धन |
39 | कर्पूरमंजरी, काव्यमीमांसा, विद्धशालभंजिका | राजशेखर |
40 | अभिनवभारती, ध्वन्यालोक लोचन | अभिनव गुप्त |
41 | दशरूपकम् | धनजंय |
42 | न्यायसूत्र | गौतम |
43 | न्यायसूत्रधार | वाचस्पति मिश्र |
44 | न्यायमंजरी | जयंत भट्ट |
45 | तार्किकरक्षा | वरदराज |
46 | वैशेषिकसूत्र | कणाद |
47 | सरस्वतीकण्ठाभरणम्, शृंगारप्रकाश | भोज |
48 | व्यक्तिविवेक | महिमभट्ट |
49 | औचित्यविचारचर्चा, वृहत्कथामंजरी, वात्स्यायन सूत्र सागर | क्षेमेन्द्र |
50 | अलंकारसर्वस्व, साहित्यमीमांसा, काव्यप्रकाशसंकेत, व्यक्तिविवेकव्याख्यान् | राजानक रूय्यक |
51 | काव्यानुशासनम्, सिद्धहैमशब्दानुशासन, छनदानुशासन | हेमचन्द्र |
52 | एकावली, प्रतापपरूद्रीयम्, साहित्यदर्पण | विद्यानाथ |
53 | नीति शतक, श्रृंगार शतक, वैरण्य शतक | भर्तृहरि |
54 | पंचतंत्र | विष्णु शर्मा |
55 | हितोपदेश | नारायण भट्ट |
56 | भृगुसंहिता | भृगु मुनि |
57 | ब्राम्हास्फुटसिद्धांत | ब्रम्हागुप्त |
58 | गीतगोविंद, चंद्रालोक | जयदेव |
59 | पृथ्वीराजरासो | चंदरबरदाई |
60 | नैषधचरित, खंडनखंड खाध | श्रीहर्ष |
61 | तिकल मंजरी, यश तिलक | धनपाल |
62 | कथासरित्सागर | सोमदेव |
63 | शिशुपाल वध | माघ |
64 | रासमाला, कीर्ति कौमुदी | सोमेश्वर |
65 | साहित्यलहरी, सूरसागर | सूरदास |
66 | रामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, दोहावली | तुलसीदास |
67 | बुद्धचरितम्, सौन्दरानंद | अश्वघोष |
68 | बीजक | कबीरदास |
69 | मालतीमाधव, उत्तरामचरितम्, महावीरचरितम् | भवभूति |
70 | संगीत रत्नाकर | सारंगदेव |
71 | रस गंगाधर | पंडितराज जगन्नाथ |
72 | नाट्यदर्पण | रामचंद्र गुणचंद्र |
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