बिहार में रामसर स्थलों की कुल संख्या अब 05 हो गई है, जिसमें हाल ही में 02 नए स्थलों को शामिल किया गया है, गोकुल जलाशय (बक्सर जिला) और उदयपुर झील (पश्चिम चंपारण जिला)।
ये दोनों स्थल सितंबर 2025 में रामसर कन्वेंशन के तहत नामित किए गए हैं, जिससे भारत में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर अब कुल संख्या 93 हो गई है, जिनका कुल क्षेत्रफल 13,60,719 हेक्टेयर है।
रामसर स्थल अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि क्षेत्र होते हैं, जो जैव विविधता, बाढ़ नियंत्रण, जल संरक्षण और स्थानीय समुदायों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
बिहार के सभी रामसर स्थल, नामित किये जाने के वर्ष सहित –
- कंवर ताल (कबार ताल) – वर्ष 2020
- नागी पक्षी अभ्यारण – वर्ष 2024
- नकटी पक्षी अभ्यारण्य – वर्ष 2024
- गोकुल जलाशय – वर्ष 2025
- उदयपुर झील – वर्ष 2025
बिहार के 02 नए रामसर स्थलों के बारे में जाने विस्तार से
गोकुल जलाशय (बक्सर जिला, बिहार)
गोकुल जलाशय बिहार के बक्सर जिले में स्थित है, जो गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर एक ऑक्सबो झील (घुमावदार झील) है। इसका क्षेत्रफल 448 हेक्टेयर है।
यह एक सदाबहार मीठे पानी की आर्द्रभूमि है, जो बाढ़ के समय आसपास के गाँवों के लिए बफर का काम करती है और बाढ़ के पानी को सोखकर बाढ़ नियंत्रण में योगदान देती है। साथ ही, यह भूजल पुनर्भरण (ग्राउंडवाटर रिचार्ज) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जैव विविधता – यहां 50 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें प्रवासी और स्थानीय पक्षी शामिल हैं। मॉनसून मौसम में दलदली भूमि और झाड़ियां पक्षियों के लिए भोजन और प्रजनन स्थल प्रदान करती हैं।
यह मछली पालन, कृषि और सिंचाई के लिए स्थानीय समुदायों को सहारा देती है। जलमग्न वनस्पति और मछलियों की विविधता भी समृद्ध है।
गंगा की बाढ़ की लहरें भूमि उपयोग को प्रभावित करती हैं, सूखे महीनों में दलदल और कृषि क्षेत्र उजागर होते हैं, जबकि मॉनसून के बाद जलमग्न क्षेत्र बढ़ जाता है।
महत्व और संरक्षण – रामसर नामांकन से इसकी संरक्षण में सहायता मिलेगी, जो जैव विविधता संरक्षण, जलवायु लचीलापन और सतत आजीविका को बढ़ावा देगा।
उदयपुर झील (पश्चिम चंपारण जिला, बिहार)
उदयपुर झील बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 319 हेक्टेयर है।
यह भी एक ऑक्सबो झील गोखुर झील है, जो उत्तर और पश्चिम में उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों से घिरी हुई है।
अभयारण्य की कुल क्षेत्रफल 874 हेक्टेयर है, जो 1978 में स्थापित किया गया था, और यह गंडक नदी के बाढ़ मैदान में स्थित है। निकटतम शहर बेतिया है।
जैव विविधता – झील में 280 से अधिक पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें भारत में स्थानिक (एंडेमिक) बारहमासी जड़ी-बूटी एलिसिकार्पस रॉक्सबुर्घियानस शामिल है।
वनस्पति में दलदली जंगल, शुष्क नदीय जंगल और खैर-सिस्सू जंगल (एकेशिया कैटेचू – डालबर्जिया सिस्सू) प्रमुख हैं।
जीव-जंतुओं में विभिन्न जल पक्षी, स्थानीय और प्रवासी, पाए जाते हैं। यह लगभग 35 प्रवासी पक्षी प्रजातियों का महत्वपूर्ण शीतकालीन निवास स्थल है, जिसमें संकटग्रस्त कॉमन पोचार्ड (आयथ्या फेरिना) शामिल है।
महत्व और संरक्षण- यह आर्द्रभूमि जैव विविधता संरक्षण और प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण है। रामसर नामांकन से संरक्षण प्रयासों को बल मिलेगा।
रामसर साइट में 20 वेटलैंड्स के साथ तमिलनाडु शीर्ष पर
इसके साथ ही रामसर साइट में 20 वेटलैंड्स के साथ तमिलनाडु शीर्ष पर बना हुआ है जबकि 10 वेटलैंड के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।
यहां उल्लेखनीय है कि ईरान के रामसर शहर में वेटलैंड के संरक्षण को लेकर 02 फरवरी 1971 में हुए अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत् यह दर्जा दिया जाता है।
सितम्बर 2025 में शामिल किये गए इन 02 नए रामसर साईट के साथ भारत में अब रामसर साईट की संख्या 93 हो गई है।