12 दिसंबर 2025 को भारत के दो नए रामसर साइट्स के रूप में दर्जा मिला है।
राजस्थान के अलवर स्थित सिलीसेढ़ झील (Siliserh Lake) और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोपरा जलाशय (Kopra Jalashay) (छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साईट) को रामसर साइट्स के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। यह भारत के समृद्ध जैव विविधिता व जल संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रयास है।
इनके जोड़े जाने से भारत में रामसर साइट्स की कुल संख्या 96 हो गई है, जो कुल 13,61,331 हेक्टेयर क्षेत्र को आच्छदित करते हैं।
सिलीसेढ़ झील (Siliserh Lake)
सिलीसेढ़ झील (Siliserh Lake) सिलीसेढ़ झील राजस्थान के अलवर जिले में स्थित एक सुंदर और पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण जलाशय है, जिसे 12 दिसंबर 2025 को रामसर साइट के रूप में नामित किया गया।
यह भारत की 95वीं रामसर साइट है और राजस्थान की पांचवीं (भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1981) जयपुर का सांभर झील (1990), उदयपुर की मेनार और फलौदी का खीचन (जून 2025) को रामसर स्थल में शामिल किया गया है) अब सिलीसेढ़ झील को रामसर स्थल में शामिल किया गया है।
यह सरिस्का टाइगर रिजर्व के बफर जोन में स्थित है एक मानव निर्मित आर्द्रभूमि है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
स्थान (Location) भौगोलिक स्थितिः अलवर जिले में, अलवर शहर से लगभग 13-15 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में (लगभग 8 मील) । अरावली पहाड़ियों के बीच बसी हुई, सरिस्का टाइगर रिजर्व के बफर जोन में। रूपारेल नदी की एक सहायक नदी पर स्थित।
पताः सिलीसेढ़ झील, अलवर जिला, राजस्थान (भारत)
परिवेशः घने जंगलों से घिरी, अर्ध-शुष्क क्षेत्र में। सरिस्का टाइगर रिजर्व से निकटता के कारण वन्यजीवों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक।
इतिहास और निर्माण (History and Construction) निर्माणः 1845 में अलवर के महाराजा विनय सिंह द्वारा बनवाया गया। मुख्य रूप से अलवर शहर को पेयजल आपूर्ति के लिए रूपारेल नदी की सहायक नदी पर बांध बनाकर निर्मित। महाराजा ने अपनी रानी के लिए झील के किनारे एक महल भी बनवाया, जो अब आरटीडीसी लेक पैलेस होटल के रूप में जाना जाता है।
ऐतिहासिक महत्वः यह एक मानव-निर्मित कृत्रिम झील है, जो पुरानी जलवाहिकाओं (एक्वीडक्ट्स) से जुड़ी हुई है, जो आज भी दिखाई देती हैं। यह जल संरक्षण का एक प्राचीन उदाहरण है और राजस्थान की विरासत का हिस्सा है।
क्षेत्रफल (Area) सिलिसेढ़ झील 316 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हुई। यह एक विस्तृत जल क्षेत्र वाला जलाशय है, जिसमें उथले क्षेत्र और घने वन शामिल हैं।
पारिस्थितिक महत्व (Ecological Significance) जलविज्ञान और पारिस्थितिकीः अर्ध-शुष्क क्षेत्र में महत्वपूर्ण जल निकाय, जो भूजल पुनर्भरण, जलवायु नियमन और पारिस्थितिक संतुलन में योगदान देता है। सरिस्का टाइगर रिजर्व से जुड़ाव के कारण जैव विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण।
समुदाय लाभ- अलवर को पेयजल प्रदान करता है, सिंचाई, मनोरंजन और पर्यटन को बढ़ावा देता है। रामसर स्थिति से संरक्षण, पर्यटन और सतत विकास को बल मिलता है।
रामसर मानदंड- अपनी जैव विविधता और पारिस्थितिक सेवाओं के कारण योग्य। यह प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास है और वैश्विक प्रवासी मार्गों का हिस्सा है।
विशेषताएं (Features) प्राकृतिक सौंदर्यः अरावली पहाड़ियों से घिरी, घने जंगलों और स्मारकों वाली। झील में मगरमच्छ हैं, इसलिए सावधानी के संकेत लगे हैं। नौका विहार, पक्षी अवलोकन और पिकनिक के लिए लोकप्रिय।
मानव-प्रकृति एकीकरणः जल आपूर्ति के साथ-साथ पर्यटन का केंद्र। झील के ऊपर पहाड़ी पर महल (अब होटल) है, जो राजसी दृश्य प्रदान करता है।
जैव विविधता (Biodiversity) पक्षीः 149-150 से अधिक प्रजातियां, जिनमें प्रवासी और स्थानीय पक्षी शामिल। उल्लेखनीयः नदी टर्न (Sterna Aurantia), ब्लैक स्टॉर्क (Ciconia nigra – 1% जैवभौगोलिक जनसंख्या), क्रेन, रंगीन किंगफिशर, लुप्तप्राय जलपक्षी।
स्तनधारीः 17 प्रजातियां, जैसे बाघ (Panthera Tigris), सांभर हिरण।
अन्यः मगरमच्छ, जलीय जीव, सरीसृप, कीड़े और समृद्ध जलीय वनस्पति। घने जंगलों में विविध फ्लोरा और फॉना। पक्षी अवलोकन के लिए प्रसिद्ध।
खतरे (Threats) गाद जमा होना (Siltation), आक्रामक गैर-देशी प्रजातियां, गहन कृषि और बढ़ती मानव बस्तियां।
आसपास के क्षेत्र मेंः पशु चराई, अतिक्रमण, खनन, शिकार और मानवीय हस्तक्षेप से खतरा। सरिस्का क्षेत्र में खनन से वन्यजीव गलियारों को खतरा।
संरक्षण उपाय (Conservation Measures) रामसर नामांकन से संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिली। वन विभाग, आर्द्रभूमि प्राधिकरण और स्थानीय समुदायों द्वारा बहाली योजनाएं चल रही हैं।
प्रस्तावित उपायः गाद हटाना, आक्रामक प्रजातियों का नियंत्रण, सतत कृषि प्रथाएं।
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग, अनुसंधान और पर्यटन को बढ़ावा। राजस्थान की ‘‘अंजोर विजन‘‘ जैसी योजनाओं से जुड़ा। औपचारिक प्रबंधन योजना विकसित की जा रही है।
पर्यटन आकर्षण (Tourist Attractions) नौका विहार, पक्षी अवलोकन, फोटोग्राफी और पिकनिक। झील के किनारे स्मारक और पैलेस होटल। पर्यटकों द्वारा सराहा गया। सरिस्का सफारी के साथ जोड़कर घूमा जा सकता है।
यह झील न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को दर्शाती है।
कोपरा जलाशय (Kopra Jalashay) छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट
कोपरा जलाशय (Kopra Jalashay) कोपरा जलाशय छत्तीसगढ़ राज्य का पहला रामसर साइट है, जिसे 12 दिसंबर 2025 को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया। यह बिलासपुर जिले में स्थित है और भारत में रामसर साइट्स की कुल संख्या को 96 तक पहुंचाने में योगदान देता है।
स्थान (Location) भौगोलिक स्थितिः बिलासपुर जिले में, बिलासपुर शहर के निकट। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 115 किलोमीटर दूर। महानदी नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में स्थित एक जलाशय है। मुख्य रूप से कृषि भूमि और कुछ गांवों से घिरा हुआ, जो अर्ध-ग्रामीण परिदृश्य बनाता है।
पता- कोपरा जलाशय बिलासपुर जिले में तखतपुर विकासखण्ड में स्थित है। (कोपरा डैम के रूप में जाना जाता है)।
परिवेशः वर्षा-आधारित मुख्य रूप से, छोटी मौसमी धाराओं द्वारा समर्थित। प्राकृतिक और मानव-निर्मित विशेषताओं से आकारित मीठे पानी की आर्द्रभूमि प्रणाली।
इतिहास और निर्माण (History and Construction) निर्माण का उद्देश्य – मुख्य रूप से सिंचाई के लिए बनाया गया। यह एक जलाशय-प्रकार की आर्द्रभूमि है (इसका रामसर साइट नंबर 2583 है), जो बांध या समान संरचना के रूप में पानी भंडारण के लिए निर्मित है।
विकास – राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण, वन अधिकारियों, पर्यावरण विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदायों के प्रयासों से रामसर स्थिति प्राप्त की गई। यह छत्तीसगढ़ की ‘‘अंजोर विजन 2047‘‘ का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 20 आर्द्रभूमियों को रामसर स्थिति प्रदान करना है।
क्षेत्रफल (Area): कोपरा जलाशय 210 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला एक विस्तृत खुले जल क्षेत्र वाला जलाशय है, जिसमें उथले, पोषक तत्वों से भरपूर बैकवाटर शामिल हैं।
पारिस्थितिक महत्व (Ecological Significance) जलविज्ञान और पारिस्थितिकी – मजबूत जलविज्ञान और पारिस्थितिक जुड़ाव के कारण आवासों का मोज़ेक बनाता है। स्थानीय जलवायु और जल चक्रों के प्राकृतिक नियामक के रूप में कार्य करता है। प्रवासी पक्षियों के लिए घोंसला बनाने, भोजन और स्टॉप-ओवर साइट के रूप में महत्वपूर्ण।
समुदाय लाभः पेयजल आपूर्ति, कृषि भूमि की सिंचाई, खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण आजीविका और मौसमी जल scarcity के खिलाफ लचीलापन प्रदान करता है। आसपास के परिदृश्य में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखता है।
रामसर मानदंड – अपनी पारिस्थितिक समृद्धि के कारण योग्य, जो जैव विविधता संरक्षण, सतत जल प्रबंधन और जलवायु लचीलापन पर केंद्रित है।
विशेषताएं (Features) प्राकृतिक सौंदर्य – स्थानीय समुदायों और पर्यटकों द्वारा प्राकृतिक सुंदरता और पक्षी अवलोकन के लिए मूल्यवान। कोपरा जलाशय व्यू पॉइंट 24 घंटे खुला रहता है और पर्यटकों द्वारा सराहा जाता है
मानव-प्रकृति एकीकरण – मानव आवश्यकताओं को पारिस्थितिकी सेवाओं के साथ जोड़ता है।
जैव विविधता (Biodiversity) पक्षीः 60 से अधिक प्रवासी पक्षी प्रजातियां का आश्रय स्थल है। जो घोंसला बनाने, भोजन करने और विश्राम स्थल के रूप में इस पर निर्भर हैं।
उल्लेखनीयः ग्रेटर स्पॉटेड ईगल (Aquila clanga)
लुप्तप्राय (Endangered)- मिस्र गिद्ध (Neophron percnopterus)।
अन्यः नदी टर्न (Sterna aurantia), कॉमन पोचार्ड (Aythya ferina), हेडेड गूज और दुर्लभ प्रजातियां।
वैश्विक प्रवासी मार्गों में महत्वपूर्ण लिंक के रूप में कार्य करता है।
जलीय जीवः मछली, उभयचर, सरीसृप, कीड़े।
वनस्पतिः समृद्ध जलीय वनस्पति।
अन्यः प्रवासी पक्षियों के लिए नियमित शीतकालीन पड़ाव स्थल है।
खतरे (Threats): गाद जमा होना (Siltation) जलाषय के प्रमुख खतरे में से एक है।आक्रामक गैर-देशी प्रजातियां (Invasive non-native species)।
संरक्षण उपाय (Conservation Measures) प्रस्तावित संरक्षण उपाय चल रहे हैं, लेकिन औपचारिक प्रबंधन योजना अभी तैयार नहीं है।
राज्य प्राधिकरणों, विशेषज्ञों और स्थानीय समुदायों द्वारा समन्वित कार्रवाई।
रामसर कन्वेंशन के अनुरूप जैव विविधता संरक्षण और जलवायु अनुकूलन रणनीतियां।
छत्तीसगढ़ की अंजोर विजन 2047 के तहत भविष्य में और आर्द्रभूमियों को शामिल करने की योजना। यह जलाशय न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है।
